Akhil Bharitya Manav Adhikar Institute is an autonomous body it is registered Central Government of Delhi. The certificate No. INDL74111379265155N. Registration no. 251/2015-16, Book no. 04, Vol. No. 111 & NITI Aayog Registration no. DL/2018/0194110. This encompasses research, analysis, information, human rights education, documentation and the implementation of national and international programmed. Akhil Bharitya Manav Adhikar Institute (ABMAI) has been established on 3rd March, 2015 based on Human Rights Education across the Country as under “THE CENTRAL ACT II of 1882 PCT No. 2 OF 1882” NCT of Delhi Government of India. The two years’ Post Graduate Diploma in Human Rights (PGDHR), one year’s Diploma in Human Rights (DHR) six month Certificate in Human Rights (CHR) & three months Foundation Course (FHR) running in Human Rights is awarded by Akhil Bhartiya Manav Adhikar Institute New Delhi. Akhil Bhartiya Manav Adhikar Institute has launched this study programmes in Human Rights through Open and Distance Learning mode. Human rights are rights inherent to all human beings, whatever our nationality, place of residence, sex, national or ethnic origin, color, religion, language, or any other status. We are all equally entitled to our human rights without discrimination. These rights are all interrelated, interdependent and Indivisible Universal human rights are often expressed and guaranteed by law, in the forms of treaties, customary international law, general principles and other sources of international law. International human rights law lays down obligations of Governments to act in certain ways or to refrain from certain acts, in order to promote and protect human rights and fundamental freedoms of individuals or groups. Universal and inalienable the principle of universality of human rights is the cornerstone of international human rights law. This principle, as first emphasized in the Universal Declaration on Human Rights in 1948, has been reiterated in numerous international human rights conventions, declarations, and resolutions. The 1993 Vienna World Conference on Human Rights, for example, noted that it is the duty of States to promote and protect all human rights and fundamental freedoms, regardless of their political, economic and cultural systems.

All States have ratified at least one, and 80% of States have ratified four or more, of the core human rights treaties, reflecting consent of States which creates legal obligations for them and giving concrete expression to universality. Some fundamental human rights norms enjoy universal protection by customary international law across all boundaries and civilizations.

Human rights are inalienable. They should not be taken away, except in specific situations and according to due process. For example, the right to liberty may be restricted if a person is found guilty of a crime by a court of law. Every NGOs are actively working on the human rights related issues at national and international level, Like UNO and its specialized bodies UNHCR, WHO, UNESCO, UNICEF etc. International bodies like CRY, CARE, Amnesty international, Lutheran World service, US Aid. YMCA,YWCA, Red Cross etc. activating in our country also recruit human rights professional at their branch offices in India as well as in other developing countries.

 

Apart from this our government departments are also actively working on various human rights related issues: Like Police department, Para military department, Military department, most of the organizations working under state government and central government. You can work as a freelancer with the news agency like; The Hindustan Times, The Times of India, India Today, Nav Bharat Times etc. Most of MNC’s dealing with international Labour laws also recruits human rights professional in order to maintain their employees’ rights. You can work as consultant or adviser with the Judiciary personals/ legal advisers. You can also open your own counseling center on human rights or can run your own NGO in the relevant field. For further information, you are advised to log in at Yahoo or Google search engines and by typing Human Right Jobs, you can get all relevant information about the job prospects in this field.

निदेशक का संदेश

प्रिय विद्यार्थी सहभागी / समाजसेवी,

 

अखिल भारतीय मानव अधिकार इंस्टीट्यूट (ए.बी.एम.ए.आई) में आपका स्वागत है। मुझे अखिल भारतीय मानव अधिकार इंस्टीट्यूट की जून और दिसम्बर की वार्षिक परीक्षाओं की जानकारी तथा इसके द्वारा किये जा रहे कार्यों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने में हमें अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। जिसमें प्रवेश भक जुलाई एवं जनवरी के शैक्षिक कार्यक्रमों की पूर्ण जानकारी दी गई है। हमारे लिए यह संतोष की बात है कि इस समय (ए.बी.एम.ए.आई) द्वारा प्रदता सभी शैक्षिक कार्यक्रम मानवाधिकार शिक्षा से सनिधित है, जिसके लिए (ए.बी.एम.एआई) की स्थापना की गई थी।

(ए.बी. एम. एआई) का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को मानवाधिकार शिक्षा अर्जित करने के अवसर उपलब्ध कराये जाये इंस्टीट्यूट अपने आदर्श गावा मानवाधिकार शिक्षा सभी के लिये के अनुसार विद्यार्थियों की सेवा में उपलब्ध है इंस्टीट्यूट की गृहत स्तर पर राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपना योगदान देने की पूरी रहेगी और मानवाधिकार शिक्षा के लोकतंजीकरण तथा प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण के लिए सफल मॉडलों का विकास करना ही इसका मुख्य लक्ष्य है। इस पूरी दुनिया में कई ऐसे अधिकार है, जो जरूरी और पर प्रत्येक नागरिक को मिलने चाहिए। मगर अभी भी कई जसरी अधिकारों का उल्लघन दुनिया के प्रलोक देश में होता रहता है। ऐसे में कई ऐसे गैर सरकारी संगठन है जो मानव अधिकारों की रक्षा के लिये काम करते हैं। अखिल भारतीय मानव अधिकार इंस्टीट्यूट की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गयी है कि प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकार जानने का पूरा हक है इंस्टीट्यूट की देशी विदेशी सहभागी संस्थानों/केंदो के माध्यम से भारत और दिल के अ

(ए.बी. एम. एआई) का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को मानवाधिकार शिक्षा अर्जित करने के अवसर उपलब्ध कराये जाये इंस्टीट्यूट अपने आदर्श गावा मानवाधिकार शिक्षा सभी के लिये के अनुसार विद्यार्थियों की सेवा में उपलब्ध है इंस्टीट्यूट की गृहत स्तर पर राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपना योगदान देने की पूरी रहेगी और मानवाधिकार शिक्षा के लोकतंजीकरण तथा प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण के लिए सफल मॉडलों का विकास करना ही इसका मुख्य लक्ष्य है। इस पूरी दुनिया में कई ऐसे अधिकार है, जो जरूरी और पर प्रत्येक नागरिक को मिलने चाहिए। मगर अभी भी कई जसरी अधिकारों का उल्लघन दुनिया के प्रलोक देश में होता रहता है। ऐसे में कई ऐसे गैर सरकारी संगठन है जो मानव अधिकारों की रक्षा के लिये काम करते हैं। अखिल भारतीय मानव अधिकार इंस्टीट्यूट की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गयी है कि प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकार जानने का पूरा हक है इंस्टीट्यूट की देशी विदेशी सहभागी संस्थानों/केंदो के माध्यम से भारत और दिल के अनेक देशों में महत्वपूर्ण मौजूदगी की पूरी को रहेगी(ए.बी.एम.एआई) देश का एक सर्वोत्तम इंस्टीट्यूट है जिसमें सिर्फ मानवाधिकार शिक्षा की पढ़ाई पत्राचार के माध्यम से कराई जाती है।

में आपको मानवाधिकार के शैक्षिक प्रयासों में सफलता हासिल करने की शुभकामनाएं देता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि हमारे इंस्टीट्यूट के द्वारा मानवाधिकार कार्यक्रम जीवन में आपके लिए सफलता का मार्ग प्रशसा करेंगे और एक बेहतर राष्ट्र निर्माण में आप अपना योगदान दे सकेंगे। इंस्टीट्यूट परपरागत या नवीन मानवाधिकार कार्यक्रमों के आर्गत प्रमाणपत्र डिप्लोमा सर्टिफिकेट तथा फाउंडेशन कोर्स उपाधि के अल्पकालीन न दीर्घकालीन दोनों प्रकार के कार्यक्रम प्रदान करता है। इनमें से कार्यक्रम इस प्रकार के कार्यक्रमों की मांग के प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद विकसित किए गए है। ये विद्यार्थियों की निम्नलिखा आवश्यकताओं को पूरा करने की दृष्टि से प्रारंभ किए गए है

अपने अधिकारों के बारे में जानना आर्थिक असमानता प्रत्येक कार्यस्थल पर मानव अधिकार शिक्षा एवं व्यावसायिक विकास व्यक्तित्व विकास, गरीबी, भूख, मानव अधिकारों का नवीनीकरण, भेदभाव रहित समाज और सशक्तिकरण तथा एक सेक्यूलर भारत के निर्माण करने में सत्त प्रयास करने की कोशिश सेक्यूलरिजन का शब्दाकोषीय अर्थ है जीवन में धार्मिक तत्वों का उन्मूलन सेक्यूलर शब्द का मूल अर्थ है सांसारिक, क्षणभंगूर अथवा पार्थिव इसका अर्थ सम्प्रदाय निरता नहीं है। अनेक व्यक्ति संविधान में प्रतिरोपित शब्द ‘सेक्यूलर का अर्थ सर्वधर्म समभाव करते है संविधान के परिक्षेत्रा में सर्वधर्म समभाव I

 

व्यवहार्य नहीं है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने धर्मनिरपेक्ष राज्य के समर्थन में कहा था कि ऐसे राज्य में किसी भी व्यक्ति के साथ उसके धर्म के कारण किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा। परन्तु भारत में सम्प्रदाय विशेष के कुछ लोगों के कारण महिलाओं को समानता के मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है। यह सर्व विदित है। संस्था अखिल भारतीय मानव अधिका इंस्टीट्यूट का यह प्रयास रहेगा कि समाज के सभी वर्गों के लोगो को अपने अधिकारों से वचित न किया जायें।

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