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All States have ratified at least one, and 80% of States have ratified four or more, of the core human rights treaties, reflecting consent of States which creates legal obligations for them and giving concrete expression to universality. Some fundamental human rights norms enjoy universal protection by customary international law across all boundaries and civilizations.
Human rights are inalienable. They should not be taken away, except in specific situations and according to due process. For example, the right to liberty may be restricted if a person is found guilty of a crime by a court of law. Every NGOs are actively working on the human rights related issues at national and international level, Like UNO and its specialized bodies UNHCR, WHO, UNESCO, UNICEF etc. International bodies like CRY, CARE, Amnesty international, Lutheran World service, US Aid. YMCA,YWCA, Red Cross etc. activating in our country also recruit human rights professional at their branch offices in India as well as in other developing countries.
प्रिय विद्यार्थी सहभागी / समाजसेवी,
अखिल भारतीय मानव अधिकार इंस्टीट्यूट (ए.बी.एम.ए.आई) में आपका स्वागत है। मुझे अखिल भारतीय मानव अधिकार इंस्टीट्यूट की जून और दिसम्बर की वार्षिक परीक्षाओं की जानकारी तथा इसके द्वारा किये जा रहे कार्यों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने में हमें अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। जिसमें प्रवेश भक जुलाई एवं जनवरी के शैक्षिक कार्यक्रमों की पूर्ण जानकारी दी गई है। हमारे लिए यह संतोष की बात है कि इस समय (ए.बी.एम.ए.आई) द्वारा प्रदता सभी शैक्षिक कार्यक्रम मानवाधिकार शिक्षा से सनिधित है, जिसके लिए (ए.बी.एम.एआई) की स्थापना की गई थी।
(ए.बी. एम. एआई) का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को मानवाधिकार शिक्षा अर्जित करने के अवसर उपलब्ध कराये जाये इंस्टीट्यूट अपने आदर्श गावा मानवाधिकार शिक्षा सभी के लिये के अनुसार विद्यार्थियों की सेवा में उपलब्ध है इंस्टीट्यूट की गृहत स्तर पर राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपना योगदान देने की पूरी रहेगी और मानवाधिकार शिक्षा के लोकतंजीकरण तथा प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण के लिए सफल मॉडलों का विकास करना ही इसका मुख्य लक्ष्य है। इस पूरी दुनिया में कई ऐसे अधिकार है, जो जरूरी और पर प्रत्येक नागरिक को मिलने चाहिए। मगर अभी भी कई जसरी अधिकारों का उल्लघन दुनिया के प्रलोक देश में होता रहता है। ऐसे में कई ऐसे गैर सरकारी संगठन है जो मानव अधिकारों की रक्षा के लिये काम करते हैं। अखिल भारतीय मानव अधिकार इंस्टीट्यूट की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गयी है कि प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकार जानने का पूरा हक है इंस्टीट्यूट की देशी विदेशी सहभागी संस्थानों/केंदो के माध्यम से भारत और दिल के अ
में आपको मानवाधिकार के शैक्षिक प्रयासों में सफलता हासिल करने की शुभकामनाएं देता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि हमारे इंस्टीट्यूट के द्वारा मानवाधिकार कार्यक्रम जीवन में आपके लिए सफलता का मार्ग प्रशसा करेंगे और एक बेहतर राष्ट्र निर्माण में आप अपना योगदान दे सकेंगे। इंस्टीट्यूट परपरागत या नवीन मानवाधिकार कार्यक्रमों के आर्गत प्रमाणपत्र डिप्लोमा सर्टिफिकेट तथा फाउंडेशन कोर्स उपाधि के अल्पकालीन न दीर्घकालीन दोनों प्रकार के कार्यक्रम प्रदान करता है। इनमें से कार्यक्रम इस प्रकार के कार्यक्रमों की मांग के प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद विकसित किए गए है। ये विद्यार्थियों की निम्नलिखा आवश्यकताओं को पूरा करने की दृष्टि से प्रारंभ किए गए है
अपने अधिकारों के बारे में जानना आर्थिक असमानता प्रत्येक कार्यस्थल पर मानव अधिकार शिक्षा एवं व्यावसायिक विकास व्यक्तित्व विकास, गरीबी, भूख, मानव अधिकारों का नवीनीकरण, भेदभाव रहित समाज और सशक्तिकरण तथा एक सेक्यूलर भारत के निर्माण करने में सत्त प्रयास करने की कोशिश सेक्यूलरिजन का शब्दाकोषीय अर्थ है जीवन में धार्मिक तत्वों का उन्मूलन सेक्यूलर शब्द का मूल अर्थ है सांसारिक, क्षणभंगूर अथवा पार्थिव इसका अर्थ सम्प्रदाय निरता नहीं है। अनेक व्यक्ति संविधान में प्रतिरोपित शब्द ‘सेक्यूलर का अर्थ सर्वधर्म समभाव करते है संविधान के परिक्षेत्रा में सर्वधर्म समभाव I
व्यवहार्य नहीं है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने धर्मनिरपेक्ष राज्य के समर्थन में कहा था कि ऐसे राज्य में किसी भी व्यक्ति के साथ उसके धर्म के कारण किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा। परन्तु भारत में सम्प्रदाय विशेष के कुछ लोगों के कारण महिलाओं को समानता के मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है। यह सर्व विदित है। संस्था अखिल भारतीय मानव अधिका इंस्टीट्यूट का यह प्रयास रहेगा कि समाज के सभी वर्गों के लोगो को अपने अधिकारों से वचित न किया जायें।
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